Monday, November 24, 2014

विधवा और कुंवारियां मनचाहा पति कैसे पाएँ?:Practical Training

नन्हे भाई एक सरकारी आफ़िस में बाबू में हैं। आफ़िस में भी कई आफ़िस हैं। हरेक आफ़िस में बहुत से बाबू, मुंशी और चपरासी हैं। एक आफ़िस में धारा भी चपरासी है। उसे अपने पति की मौत के बाद उसके आश्रितों में नौकरी मिली है। लगभग पिछले 4-5 सालों से वह सरकारी कागज़ इधर से उधर पहुंचा रही है। उसकी उम्र भी ज़्यादा नहीं है। वह ख़ूबसूरत भी है। कोई ऐसी वजह नहीं है कि वह फिर से शादी न कर सके। जब कभी मेरी नज़र उस बहन पर पड़ती, मैं मालिक से उसकी शादी और अच्छे भविष्य की दुआ ज़रूर करता।
एक रोज़ मैं नन्हे भाई से मिलने के लिए उनके आफ़िस गया तो सामने से धारा निकल कर गई। मैंने नन्हे भाई से कहा कि आप इसकी शादी के लिए दुआ किया करो।
नन्हे भाई बोले कि धारा दोबारा शादी तो करना चाहती है लेकिन उसे डर है कि उसे मिलने वाली पेन्शन बन्द हो जाएगी और उसकी नौकरी भी चली जाएगी।
मैंने कहा कि क्या ऐसा होगा?
उन्होंने कहा कि सिर्फ़ पति की पेन्शन बन्द होगी लेकिन उसकी नौकरी पर कोई आंच नहीं आएगी।
मालिक के करम से तभी धारा भी कुछ काग़ज़ात रिसीव कराने के लिए नन्हे भाई के आफ़िस में आ गई। उनकी असिस्टेंट नोमू उससे बात करने लगी। नन्हे भाई ने धारा को मेरी बात बताई कि हमारे भाई आपकी शादी के लिए दुआ करते रहते हैं।
मैंने कहा- क्या आप पेन्शन और नौकरी छिन जाने के डर से शादी नहीं कर रही हैं तो आप जान लीजिए कि आपकी नौकरी बरक़रार रहेगी सिर्फ़ आपको पेन्शन नहीं मिलेगी जो कि आपकी ख़ुशियों के सामने कोई वैल्यू नहीं रखती। आप शादी करने का इरादा कर लीजिए।
धारा ने कहा कि मैं ख़ुद भी शादी करना चाहती हूं लेकिन मेरा काम अटक जाता है। ऐसा लगता है कि जैसे किसी ने मुझ पर कोई जादू वग़ैरह करवा दिया हो।
मैंने कहा कि मेरा ताल्लुक़ देवबन्द से है। मैं इस करने कराने को गहराई से जानता हूं। आप पर असर तो है लेकिन यह असर आपका अपना किया हुआ है।
वह बोली- कैसे?
मैंने कहा- आप चाहती हैं कि आपकी दोबारा शादी हो?
धारा बोली- हाँ
मैंने कहा- फिर आपको यह डर भी सताता है कि लोग क्या कहेंगे?
धारा बोली- हाँ
मैंने कहा- यही डर आपका काम अटका रहा है। आप इस डर को अपने दिल से निकाल दीजिए। आपका काम हो जाएगा। समाज के रिवायती लोग तो विधवाओं को तिल तिल करके मरते देखना चाहते हैं। उनकी ख़ुशी के लिए अपनी ख़ुशियों का गला घोंटना अक्लमन्दी नहीं है। अब औरतों को विधवा होने के बाद सती और बर्बाद की कोई ज़रूरत नहीं है। आपकी शादी होगी और आपको अच्छा पति मिलेगा।
धारा ने पूछा कि मैं क्या करूँ?
मैंने कहा- आप रात को सोने से पहले ‘सबका मालिक एक’ और ‘अल्लाह मालिक’ यह कहिए। इसके बाद जैसा पति आपको चाहिए, उसका स्वरूप अपने मन में बनाईये। पति की उम्र, आमदनी, रंग, क़द, विचार और यह कि वह शहरी हो या देहाती, यह सब बिल्कुल साफ़ साफ़ सोच लीजिए। इसके बाद आप उसे अपने मन की आंखों से अपने घर में मौजूद देखिए। यह विचार लेकर आप सो जाईये और फिर सुबह को उठते ही यही विचार कीजए। दिन में भी आप इस विचार को अपने में ताज़ा करती रहिए। आप यक़ीन कीजिए कि आपका सपना पूरा होगा। एक हफ़ते में आपका काम हो जाएगा।
19 नवम्बर 2014 को नन्हे भाई ने ख़बर दी कि धारा ने 18 नवम्बर को एक लड़के के साथ कोर्ट मैरिज कर ली है। दोनों पक्षों की तरफ़ से कोई भी शामिल नहीं हुआ। मैं ख़ुश हुआ कि दोनों पक्षों की तरफ़ से कोई शामिल नहीं हुआ न सही लेकिन धारा की नैया पार लग गई।
20 नवम्बर को धारा माँग में सिन्दूर लगाकर आई। उसने मुझे, नन्हे भाई को और नोमू को बरफ़ी खिलाई। उसका चेहरा खिला हुआ था। उसने बताया कि भाई साहब, जिस दिन दुआ की उससे अगले दिन से ही रिश्ता लगना शुरू हो गया था। मेरे पति बहुत सुन्दर हैं। वह दिल्ली में रहते हैं और एक अच्छी कम्पनी में जॉब करते हैं। उसने अपने मोबाईल में अपने पति का फ़ोटो दिखाया। वाक़ई वह एक अच्छी शक्ल का नौजवान है।
धारा बोली- आपका बहुत बहुत शुक्रिया।
मैंने कहा- अब तो हमारे काम की शुरूआत हुई है। अब हम तुम्हें बहुत से बच्चों का वरदान देते हैं। कम बच्चों की बात कभी मत सोचना। बच्चे जितने ज़्यादा हों, उतना ही अच्छा है। सोचना कि पूरा शहर तुम्हारे बच्चों से भर गया है। तुम्हारे दौलत बहुत आएगी।
धारा मुस्कुरा कर सुनती रही।
मैंने कहा- अपने पति को बचा कर रखना। जब कभी उसके पास तुम्हारे रिश्तेदार बैठें तो वहां मौजूद रहना। कुछ ग़लत क़िस्म के रिश्तेदार ग़लत बातें कह जाते हैं और रिश्ता बिगाड़ देते हैं।
धारा ने हामी भरी और अपने आफ़िस वालों को मिठाई खिलाने चली गई। मालिक हरेक विधवा और तलाक़शुद औरत को धारा से ज़्यादा सुख दे और उनके दिल से दुनिका का डर निकाल दे, जिसने उनका जीवन दुखों से भर दिया है।
अक्सर डर बेकार होते हैं। यह सपने साकार होने की दुनिया है। आप सपने देखिए, उनके पूरा होने का यक़ीन कीजिए। अपने मन, वचन और कर्म से अपने सपनों को सपोर्ट कीजिए। समय आने पर वह सहज ही पूरा हो जाएंगे।
यह ईश्वर की प्राकृतिक व्यवस्था है।
कुंवारी लड़कियां भी इसी विधि से अच्छा पति पा सकती हैं। उन्हें अपने मन से यह डर निकाल देना चाहिए कि उनके पास देने के लिए बहुत सा दहेज नहीं है, इसलिए उन्हें अच्छा पति नहीं मिलेगा।
दिल से हरेक डर निकाल देने के बाद अच्छे पति के बारे में सोचिए कि आपकी नज़र में एक अच्छे पति में क्या गुण होने चाहिएं और फिर उसके साथ अपना विवाह होते हुए देखिए, बस। हो गया काम।
एक आसान काम को बेवजह के डर ने इतना मुश्किल बना दिया है कि बहुत सी लड़कियां उस आदमी से शादी कर बैठती हैं, जिसकी सूरत और सीरत को वे पसन्द नहीं करतीं।
औरत को अपनी हक़ीक़त और अपनी शक्ति पहचाननी होगी। उसे सारी ख़ुशियां मयस्सर होती चली जाएंगी।