tag:blogger.com,1999:blog-6149700287224226746.post4994765309827365817..comments2023-12-20T09:29:07.865-08:00Comments on औरत की हक़ीक़त: आधुनिकता के साये में कामकाजी पति-पत्नीDR. ANWER JAMALhttp://www.blogger.com/profile/06580908383235507512noreply@blogger.comBlogger2125tag:blogger.com,1999:blog-6149700287224226746.post-82215099675919126862012-09-06T00:47:55.402-07:002012-09-06T00:47:55.402-07:00हर प्राप्ति की एक क़ीमत चुकानी पड़ती है। दूसरे,जब ...हर प्राप्ति की एक क़ीमत चुकानी पड़ती है। दूसरे,जब मनोरंजन के साधन घर में कम हों,तो सेक्स ही मनोरंजन बन जाता है। पुराने जमाने में अधिक संतान की यह एक प्रमुख वजह थी। अब मनोरंजन के जो साधन तो पचास तरह के हैं,मगर उनमें न कहीं मन है,न कोई रंजन। लिहाजा,दुनिया भर में दाम्पत्य संबंध प्रभावित हुए हैं। जड़ों की ओर लौटने की बात कहें तो आधुनिकतावादियां काटने को दौडेंगीं। वैसे,सेक्स के प्रति अरूचि आध्यात्मिक मार्ग को सुलभ करती है,बशर्ते वह सहज हो।कुमार राधारमणhttps://www.blogger.com/profile/10524372309475376494noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6149700287224226746.post-10456983696461522302012-09-05T08:38:08.575-07:002012-09-05T08:38:08.575-07:00ये तो अपने हाथ में है स्वर्ग को नर्क बनालो या नर्क...ये तो अपने हाथ में है स्वर्ग को नर्क बनालो या नर्क को स्वर्ग<br />भुगतना भी खुद ही पड़ता है अब कोई खुद कुल्हाड़ी में पैर मारले तो<br />उसके लिये कोई क्या कर सकता है?सुशील कुमार जोशीhttps://www.blogger.com/profile/09743123028689531714noreply@blogger.com