tag:blogger.com,1999:blog-6149700287224226746.post590373268253866203..comments2023-12-20T09:29:07.865-08:00Comments on औरत की हक़ीक़त: इंसानी दिमाग स्त्री और पुरुषों को अलग-अलग तरीके से देखता है. स्त्रियों का दिमाग भी यह भेदभाव करता है.DR. ANWER JAMALhttp://www.blogger.com/profile/06580908383235507512noreply@blogger.comBlogger2125tag:blogger.com,1999:blog-6149700287224226746.post-12175241574845486642012-08-01T21:57:51.070-07:002012-08-01T21:57:51.070-07:00कुछ अलग अलग सा है
अनवर का दिमाग भी !!कुछ अलग अलग सा है<br />अनवर का दिमाग भी !!सुशील कुमार जोशीhttps://www.blogger.com/profile/09743123028689531714noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6149700287224226746.post-7708741500010334952012-08-01T21:57:34.915-07:002012-08-01T21:57:34.915-07:00---कोइ उलझाने वाला तथ्य नहीं है.... सर्वाइवल ऑफ फि...---कोइ उलझाने वाला तथ्य नहीं है.... सर्वाइवल ऑफ फिटेस्ट ..के कारण प्रत्येक जीव अपनी संतान को समर्थतम उत्पन्न करने के लिए नचुरल-सिलेक्शन के साथ तादाम्य-हेतु ...सर्व-श्रेष्ठ संयोग-साथी ढूँढता है ...यही स्त्री द्वारा एवं पुरुर्ष को व पुरुष द्वारा स्त्री के चयन की प्रक्रिया ...दोनों को ही उन्हें वस्तु मानने को विवश करती हैं ...क्योंकि स्त्री का संयोग के पश्चात प्रजनन , डिलीवरी व पालन-पोषण में अधिक महत्त्व होता है अतः स्त्री में अधिक आकर्षण होता है एवं उनका अधिक महत्त्व रहता है | बस पुरुष अपने अहं में उसे मानने में कतराता है |डा श्याम गुप्तhttps://www.blogger.com/profile/03850306803493942684noreply@blogger.com