लोगों के बीच एक बड़ा मिथक प्रचलित है कि दिल की बीमारियों के शिकार सिर्फ पुरुष ही होते हैं। पिछले कुछ साल से महिलाओं में दिल की बीमारियों के मामले जिस तेजी से बढ़े हैं, उससे यह मिथक पूरी तरह टूट गया है।
पिछले कुछ अध्ययनों के आंकड़ों के मुताबिक दुनिया भर में हर साल दिल की बीमारियों से 86 लाख महिलाओं की मौत हो जाती है। यह संख्या महिलाओं की कुल मौत का एक तिहाई हिस्सा है। सिर्फ दिल के दौरे से ही दुनिया भर में 2,67,000 महिलाओं की मौत हो जाती है और यह तादाद स्तन कैंसर से मरने वाली महिलाओं की संख्या से छह गुना ज्यादा है। भारत में महिलाओं में हृदय संबंधी बीमारियां तेजी से बढ़ रही हैं। देश में महिलाओं की मौत में इन बीमारियों की हिस्सेदारी 17 फीसदी तक पहुंच गई है।
तेजी से बदलती जीवनशैली, पश्चिमी शैली का खान-पान, दफ्तर और घर में बढ़ते तनाव स्तर महिलाएं दिल की बीमारियों का ज्यादा शिकार हो रही हैं।
हाई ब्लडप्रेश, हाई कोलेस्ट्रॉल, डायबिटीज, मेनोपॉज, मेटाबोलिक सिंड्रोम महिलाओं में इस बीमारी को बढ़ावा देते हैं। शारीरिक मेहनत से दूर जीवनशैली, गर्भनिरोधक दवाओं के इस्तेमाल और एस्ट्रोजन लेवल का कम होना भी महिलाओं में दिल की बीमारियों को न्योता देता है। स्मोकिंग और ड्रिकिंग महिलाओं में दिल की बीमारियों की बड़ी वजह हैं।
जो महिलाएं स्मोकिंग करती हैं, उनमें पुरुषों की तुलना में दिल की दौरा पडऩे की आशंका 19 गुना ज्यादा होती है। हाईब्लडप्रेशर या हाइपरटेंशन की शिकार महिलाओं को पुरुषों की तुलना में दिल का मरीज होने की आशंका 3.5 गुना ज्यादा होती है। जो महिलाएं गर्भनिरोधक गोलियां लेती हैं उनमें यह खतरा ज्यादा होती है। खास कर उन महिलाओं में जिनका वजन ज्यादा होता है।
दिल की बीमरियों के लक्षण पुरुषों और महिलाओं में एक जैसे नहीं होते। जैसा कि पुरुषों में होता है, महिलाओं में दिल का दौरा पडऩे से पहले छाती में बहुत ज्यादा दर्द नहीं होता और न ही उनके बाएं हाथ में यह शिकायत होती है। महिलाओं में थकावट और कमजोरी, सांस लेने में तकलीफ, उल्टी या चक्कर आना, चिंता, सिर घूमने और नींद में गड़बड़ी जैसी शिकायतें दिल के दौरे का पूर्व संकेत हो सकती हैं।
अपच, दर्द, जबड़े, गर्दन, बांह या कान तक पहुंचने वाली जकडऩ इसके लक्षण हो सकती है। लगातार रहने वाला सिरदर्द भी एक लक्षण हो सकता है।
30 से 40 साल की महिलाओं में अचानक दिल का दौरा पडऩे का खतरा ज्यादा होता है क्योंकि इस उम्र में महिलाएं में गर्भ निरोधक गोलियों के सेवन करती हैं। मोटापा, हाई कोलेस्ट्रॉ़ल और मीनोपॉज का एक साथ होना मारक होता है। चूंकि महिलाएं मासिक धर्म, गर्भधारण और प्रसूति से जुड़े दर्द को सहने की आदत विकसित कर लेती हैं। इसलिए वह शरीर में होने वाले दर्द को हल्के में लेने लगती हैं। यह स्थिति खतरनाक है। कई मामलों में यह दिल के दौरे का संकेत देते हैं। 65 साल से ज्यादा उम्र वाली महिलाओं में दिल का दौरा पडऩे का खतरा ज्यादा होता है और हो सकता है कि उनमें इसके लक्षण भी न दिखाई देते हों। जिन महिलाओं में मीनोपॉज हो चुका होता है उन्हें भी हृदय संबंधी बीमारियां होने का खतरा सामान्य महिलाओं से दो या तीन गुना ज्यादा होता है।
शुरुआती दौर में दिल की बीमारियां दवाओं से ठीक हो जाती हैं लेकिन एडवांस स्टेज में सर्जरी की मदद लेनी पड़ती है। बीमारी के एडवांस स्टेज से ग्रसित महिलाओं के दिल की बाइपास सर्जरी या एंजियोप्लास्टी करनी पड़ती है। उन्हें आर्टिफिशियल हार्ट वाल्व या पेसमेकर लगाना पड़ सकता है। भारतीय महिलाओं की हृदय धमनियां पुरुषों की तुलना में संकरी होती है। इसलिए महिलाओं में दिल का दौरा पडऩे का खतरा ज्यादा होता है।
बहरहाल, कुछ सरल उपायों से हृदय संबंधी बीमारियों की रोकथाम में मदद मिल सकती है। अगर महिलाएं स्मोकिंग करती हैं तो इसे तुरंत बंद कर देना चाहिए। इसमें निकोटिन होता है यह दिल के लिए बहुत नुकसानदेह होती है। खान-पान का ध्यान रखकर दिल की बीमारियों से निजात पाई जा है। तले-भूने खाने में मौजूद ट्रांस फैट एसिड शरीर में बुरे कोलेस्ट्रॉल को बढ़ा देता और अच्छे कोलेस्ट्रॉल को घटा देता है। इससे दिल पर बुरा असर पड़ता है। नियमित व्यायाम से दिल को स्वस्थ रखा जा सकता है। हर दिन सुबह-शाम आधे घंटे का नियमित व्यायाम हृदय संबंधी बीमारियों को दूर रख सकता है। योग और ध्यान जैसी शारीरिक-मानसिक क्रियाएं इन्हें दूर रखती हैं। भारत में हर साल हृदय धमनी संबंधी बीमरियों से 25 से 30 लाख लोगों की मौत हो जाती है और इनमें महिलाओं की तादाद बढ़ती जा रही है। इसलिए समय रहते इन बीमारियों से बचने और इनके बारे में जागरुकता फैलाने के कदम उठाए जाने चाहिए।
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